Monday, October 27, 2025
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ktg news : “विश्व हाथी दिवस पर कटघोरा वनमण्डल के बुका में कार्यशाला.. हाथियों से सह-अस्तित्व और सुरक्षा पर ग्रामीणों व बच्चों को किया गया जागरूक.

कोरबा/कटघोरा, 12 अगस्त 2025 : विश्व हाथी दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के कटघोरा वनमंडल अंतर्गत बुका पर्यटन स्थल में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को जंगली हाथियों से उत्पन्न खतरे और उनसे सुरक्षित रहने के तरीकों के बारे में जागरूक करना था।

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की इस पहल में कटघोरा वनमंडल के डीएफओ कुमार निशांत ने विस्तार से बताया कटघोरा वनमण्डल में इस वक्त 50 हांथीयों का दल क्षेत्र में विचरण कर रहा है, कटघोरा वनमण्डल में पुरातनकाल से हांथीयों की आमद रही है लेकिन बीते 15 वर्षो से क्षेत्र में हांथीयों का विचरण बढ़ता जा रहा है। यहां के लगभग 200 ग्राम हांथी प्रभावित हैं। अभी लोगों में नवाचार बढ़ा है लोग शिक्षित भी हो रहे है जिसकी वजह से लोगों में जागरूकता आ रही है और हांथी मानव द्वंद में कमी आ रही है। कार्यशाला प्रमुख उद्देश्य है कि लगातार जंगली हाथियों के विचरण के बीच ग्रामीण कैसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाथियों के संरक्षण के साथ-साथ मनुष्य की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. पवन सिंह ने चिंता जताई कि हाथियों की बढ़ती संख्या से ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल है और फसलें भी बर्बाद हो रही हैं। उन्होंने वन विभाग की सतत निगरानी और इस प्रकार की जागरूकता कार्यशालाओं को बेहद जरूरी बताया। कार्यक्रम में वन विभाग के एसडीओ संजय त्रिपाठी, पोंडी उपरोडा तहसीलदार सुमन दास मानिकपुरी, केंदई रेंजर अभिषेक दुबे, जड़गा रेंजर, आसपास के ग्राम सरपंच, जनपद सदस्य, पंचगण तथा अन्य वन अधिकारी-कर्मचारी, स्कूली बच्चे और ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

डीएफओ कुमार निशांत और एसडीओ संजय त्रिपाठी द्वारा दिए गए प्रमुख संदेश और सावधानियां:

जंगली हाथी दिखने पर तुरंत स्थानीय वन विभाग को सूचना दें। हाथियों के विचरण क्षेत्र के 20 किलोमीटर दायरे में विशेष सतर्क रहें।सूचना प्रसारित करने से पहले उसकी सत्यता जांचें, ताकि अफवाह न फैले। हाथियों को भगाने की कोशिश न करें, इससे उनका दल बिखर सकता है और दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं। शराब और सुगंधित खाद्य पदार्थ हाथियों को आकर्षित करते हैं—इनसे बचें। कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाए रखें। हाथियों के साथ फोटो या सेल्फी न लें, और न ही हल्ला-शोर मचाएं।हाथियों के मार्गों को अस्थायी रूप से बंद कर लोगों को आगाह करें। हाथियों के विचरण की सूचना सभी संबंधित विभागों—वन, पुलिस, बिजली, स्वास्थ्य, राजस्व आदि—को दें।

वन अधिनियम के तहत हाथियों को विशेष संरक्षण प्राप्त है, किसी भी प्रकार की हानि पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।दिन में हाथियों के आसपास विशेष सावधानी बरतें, क्योंकि वे आराम के समय ज्यादा संवेदनशील होते हैं। जंगल में एकाकी घरों में रहने वालों को अस्थायी रूप से पंचायत भवन, स्कूल आदि सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करें। बच्चों को बचाव के उपाय सिखाएं, ताकि वे बड़ों को भी जागरूक कर सकें। जंगल में हाथियों को देखने न जाएं—इससे टकराव की संभावना बढ़ जाती है। हाथियों को खाने-पीने की वस्तुएं न दें। पटाखे, पत्थर आदि से हाथियों को न डराएं—वे आक्रामक हो सकते हैं और बदला भी ले सकते हैं। संपत्ति का नुकसान सरकार भर सकती है, लेकिन जनहानि की भरपाई कोई नहीं कर सकता।

इस कार्यशाला ने न केवल हाथियों से सुरक्षित रहने की जानकारी दी, बल्कि मनुष्य और हाथी के बीच सह-अस्तित्व की भावना को भी मजबूत किया। कार्यक्रम के अंत में अधिकारियों ने यह संदेश दोहराया—”जान है तो जहान है, दूरी बनाए रखें और जीवन बचाएं।”