Monday, October 27, 2025
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कटघोरा : खेत बनाने के नाम पर वनभूमि के काट दिए सैकड़ो पेड़,वन विभाग के अधिकारी जुटे जांच में…

कटघोरा:खेत बनाने के नाम पर वनभूमि के काट दिए सैकड़ो पेड़,वन विभाग के अधिकारी जुटे जांच में…

पोड़ी उपरोड़ा/लेपरा: वनभूमि पर कब्जा करने व खेत बंनाने की मंशा से जंगल के लगभग सैकड़ो पेड़ो की कटाई कर दी गई है बताया जा रहा है यह कटाई गाव के ही कुछ ग्रामीणों द्वारा की गई है।कटाई में मिश्रित प्रजाति के पेड़ बताये जा रहे हैं। वन विभाग के आला अधिकारियों को जानकारी मिलते ही मोके पर वन विभाग की टीम पहुँची, विभाग के अधिकारियों ने भी पेड़ कटाई होने की पुष्टि की है, जहा वन विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है।

विकासखण्ड पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत ग्राम पंचायत लेपरा में स्थित वनभूमि पश्चिम बिट p-499 पर गाव के ही कुछ किसानों ने कब्जा करते हुए खेत बनाने के लिए मिश्रित प्रजाति के छोटे बड़े सैकड़ो झाड़ काट डाले हैं।जब पेड़ कटाई की जानकारी वन विभाग के आला अधिकारियों को हुई तो तत्काल विभाग हरकत में आया और मौके पर रेंजर सुमित साहू (ट्रेनिंग पीरिएड) सहित अन्य विभागीय कर्मचारी पहुँचे, जहां प्रथम दृष्टया पेड़ो की कटाई होना पाया गया।जब कटाई के सम्बंध में विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों से जानने का प्रयास किया तो सामने आया कि एक पक्ष करीबन 50 साल से वनभूमि पर कब्जा कर खेती करते आ रहा है वहीं दूसरा पक्ष वनभूमि का पट्टा मिलने का दावा कर रहा है जब विभाग के अधिकारियों ने किसान के पट्टे का मुआयना किया तो सामने आया कि किसान जिस पट्टे के दम पर वनभूमि पर कब्जा करते हुए सैकड़ो पेड़ो की कटाई कर दिया है दरअसल वह पट्टा किसी अन्य स्थान का होना पाया गया है।जिस पर वन अमला मौका पंचनामा तैयार कर कटे पेड़ो की जांच विवेचना कर कार्यवाही करने की तैयारी में जुट गया है।

वन विभाग की टीम पेड़ो की कटाई को लेकर विभागीय कार्यवाही में जुट गई है।ट्रेनर रेंजर ने बताया कि मौके पर पेड़ो की कटाई होना पाया गया है जिसमे मिश्रित प्रजाति के छोटे बड़े झाड़ सामिल है।पूछताछ करने पर पेड़ काटने वाले किसानों ने कटाई वाली बात स्वीकार की है, जिस पर विभाग के द्वारा जांच कर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी।

वनभूमि पर पहला पक्ष कई वर्षों से खेती कर अपना जीवन यापन कर रहा है।इन्हें विभाग से पट्टा नही मिल पाने के कारण दूसरा पक्ष अन्यत्र स्थान का पट्टा दिखाते हुए अपना अधिकार जमाने का प्रयास कर रहा है जबकि ग्रामीणों की माने तो पहला पक्ष कई वर्षों से वनभूमि पर काबिज रहकर खेती किसानी कर रहा है।