Monday, October 27, 2025
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कोरबा : SECL में फर्जी नौकरी घोटाला: प्रशासनिक लापरवाही या प्रबंधन की निष्क्रियता?, आज भी फरारी काट रहे लोग कर रहे SECL में नौकरी.

कोरबा/कटघोरा 31 मई 2025 : कटघोरा तहसील के ग्राम ढेलवाडीह में एक बड़ा और गंभीर फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें शासकीय चारागाह भूमि को कागजों में हेराफेरी कर टुकड़ों में नाम कर दिया गया। इस जमीन के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करीब 250 लोगों ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) में नौकरी हासिल की। इस पूरे मामले में न केवल सरकारी जमीन को कई लोगों के नाम दर्ज कर दिया गया  बल्कि इसके जरिए सरकारी नौकरिया भी हासिल कर गई गई।

घोटाले की जड़: फर्जी दस्तावेजों से जमीन हड़प

मामला थाना कटघोरा जिला कोरबा के अपराध क्रमांक 239/96 के तहत दर्ज है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 423, 466, 467 (दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा), 468, 471 के अंतर्गत अपराध दर्ज किया गया। दस्तावेजों के सत्यापन से यह स्पष्ट हुआ कि ग्राम पंचायत ढेलवाडीह, पटवारी हल्का नंबर 42 के तहत शासकीय चारागाह भूमि — खसरा नंबर 310/1 क (क्षेत्रफल 13.06 एकड़) और 315/1 क (क्षेत्रफल 112.30 एकड़) — को अवैध रूप से व्यक्तिगत नामों पर दर्ज किया गया।

बताया गया कि वर्ष 1989-90 से 1994-95 के बीच तत्कालीन पटवारी सुदरलाल और बुधराम साव ने कूटरचना करते हुए खसरा नंबर 310/1 क से 89 अवैध खाते बनाकर 6.94 एकड़ भूमि, और 315/1 क से 112 अवैध खाते बनाकर 27.75 एकड़ भूमि को अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर दर्ज कर दिया, वह भी बिना किसी वैधानिक आधार या पट्टे के। इसके बाद राजस्व निरीक्षक आर.वी. चंद्रा द्वारा इन फर्जी खातों का नामांतरण प्रमाणित कर दिया गया, जो बाद में SECL में नौकरी पाने के दस्तावेज बने।

न्यायिक प्रक्रिया और वर्तमान स्थिति

इस मामले में लगभग 69 अभियुक्तों ने तात्कालिक उच्च न्यायलय जबलपुर से जमानत प्राप्त कर ली और वर्तमान में मामला न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं, कई ऐसे लोग हैं जो अब तक फरार हैं और SECL की ढेलवाडीह, गेवरा, सिंघाली, बगदेवा परियोजनाओं में नियमित रूप से कार्यरत हैं। इनमें से कुछ लोग सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, कुछ की मृत्यु हो चुकी है और कुछ लोगों ने डर के कारण नौकरी छोड़ दी। लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे हैं, जो पुलिस की नज़रों में फरार है और बिना किसी भय के SECL में कार्यरत हैं।

क्या यह प्रशासन की नाकामी है?

इस मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी प्राप्त करने जैसा संगीन अपराध हुआ, वहीं दूसरी ओर, संबंधित विभाग और SECL प्रशासन की ओर से कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई। न तो इनकी सेवाएं समाप्त की गईं, न ही इन्हें निलंबित किया गया और न ही इनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की गई। क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर प्रबंधन की निष्क्रियता? यह एक गंभीर प्रश्न है।  SECL जैसी प्रतिष्ठित संस्था में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाना न केवल व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन भी है।

जनहित और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता

यह मामला यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार से सरकारी जमीनें हड़पकर उन्हें आधार बनाकर सरकारी सेवाओं में घुसपैठ की जा रही है। यह घोटाला केवल जमीन और नौकरी से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह शासन-प्रशासन, प्रबंधन व्यवस्था और सामाजिक न्याय की नींव को झकझोर देने वाला गंभीर मामला है। जनहित में इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों पर सख्त कार्रवाई, और SECL में कार्यरत फर्जी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर उनके स्थान पर योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति होनी चाहिए।