Monday, October 27, 2025
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ktg news : राजनीतिक दबाव में महिला सशक्तिकरण पर कुठाराघात: झूठे आरोपों में गढ़कलेवा को खाली कराने का आदेश, महिलाओं की आजीविका संकट में.

कोरबा/कटघोरा 24 मई 2025 : महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल के रूप में वर्षों से संचालित “गढ़कलेवा” अब राजनीतिक दबाव और झूठे आरोपों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। कटघोरा स्थित पशु चिकित्सालय परिसर में श्रिया महिला स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित यह गढ़कलेवा, अब एक राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है, जिसके चलते प्रशासन ने इसे खाली करने का निर्देश जारी कर दिया है। यह निर्णय उन महिलाओं के लिए गहरा आघात है जो अपने आत्मनिर्भर जीवन की दिशा में इस मंच के माध्यम से आगे बढ़ रही थीं।

गढ़कलेवा पर झूठे और निराधार आरोप

गढ़कलेवा के खिलाफ दर्ज शिकायत में यह आरोप लगाया गया है कि यहां मांस और मदिरा की बिक्री की जाती है। यह आरोप न केवल निराधार हैं बल्कि इस पहल की छवि को धूमिल करने का प्रयास भी प्रतीत होता है। यह ज्ञातव्य है कि गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों जैसे चौसेला, ठेठरी, खुरमी, फरा, चीला, भजिया, बारा आदि की शुद्ध और पारंपरिक शैली में प्रस्तुति की जाती है। यह स्थान न केवल भोजन का केंद्र है बल्कि यह सांस्कृतिक संरक्षण और महिलाओं के रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बन चुका है।

राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जानबूझकर यह झूठी शिकायत की गई है। उनका आरोप है कि इस स्थान पर संचालित गतिविधियों से पशु चिकित्सालय के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है और पशुओं की देखभाल पर असर पड़ रहा है। यह विरोधाभासी प्रतीत होता है, क्योंकि पूर्व में यही स्थान वर्षों तक खाली और बंजर पड़ा था, तब किसी को इसकी चिंता नहीं थी। अब जब महिला समूह ने इसे उपयोग में लाकर रोजगार और स्वावलंबन का केंद्र बना दिया है, तब जाकर पशुओं की “चिंता” सताने लगी है।

पूर्व प्रशासनिक स्वीकृति पर भी उठे सवाल

श्रिया महिला स्वसहायता समूह को यह स्थान पूर्व कलेक्टर द्वारा स्वीकृत किया गया था, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और पारंपरिक छत्तीसगढ़ी खानपान को जन-जन तक पहुंचा सकें। यह निर्णय स्वयं प्रशासनिक स्तर पर लिया गया था, जिसमें यह देखा गया था कि पशु चिकित्सालय का आधा हिस्सा उपयोग में नहीं आ रहा था और वहां कोई गतिविधि नहीं थी। ऐसे में महिलाओं को यह स्थान सौंपा गया, जिसे उन्होंने परिश्रम और लगन से एक व्यावसायिक व सांस्कृतिक स्थल में तब्दील कर दिया।

आजिविका पर गहरा असर, प्रशासन की अनदेखी

गढ़कलेवा को बंद कराने के प्रशासनिक निर्णय से महिलाओं की आजीविका पर सीधा प्रहार हुआ है। जो महिलाएं आज तक आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी हुई थीं, वे अब भविष्य की चिंता में डूबी हैं। यह निर्णय महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रतिगामी कदम के रूप में देखा जा रहा है। शासन और प्रशासन यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करता और झूठे आरोपों पर कार्रवाई करता है, तो यह न केवल महिला समूह के लिए बल्कि समाज में स्वावलंबन की सोच रखने वाली कई अन्य महिलाओं के लिए भी निराशाजनक संकेत होगा।

समाज से मांग: सत्य की जांच हो और न्याय मिले

श्रिया महिला स्व-सहायता समूह और स्थानीय नागरिकों की मांग है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और गढ़कलेवा को बंद करने के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। यह केवल एक व्यवसायिक स्थल नहीं है, बल्कि यह उन महिलाओं के संघर्ष और सपनों का प्रतीक है, जिन्होंने अपने श्रम से इसे संवारा है। यदि समाज और प्रशासन ऐसी पहलों को समर्थन नहीं देंगे, तो महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा बनकर रह जाएगा। शासन को चाहिए कि वह राजनीति से ऊपर उठकर समाज के वंचित वर्गों की आवाज़ सुने और न्याय सुनिश्चित करे।