ktg news : जुराली में NH 130 के अटके काम को आगे बढ़ाने अब एक्शन मोड में प्रशासन.. छावनी में तब्दील हुआ जुराली.. प्रशासन व NHI के अधिकारी रहे मौजूद.

कोरबा/कटघोरा 17 नवम्बर 2024 : बिलासपुर – अंबिकापुर नेशनल हाईवे संख्या 130 – बी का निर्माण कार्य कुछ हिस्से में हो चुका है और कुछ में जारी है। डीबीएल को इसकी जिम्मेदारी मिली हुई है। कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र में जुराली के पास दो किमी की जमीन को लेकर विवाद की स्थिति कायम है। खबर है कि एनएचएआई इसे अर्जित करने की मानसिकता में है। दूसरी तरफ कई कारण से लोग विरोध कर रहे है।नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा पथरापाली से कटघोरा के मध्य नेशनल हाईवे क्रमांक-130 का निर्माण कराया जा रहा है। विगत 6 साल से जमीन का अधिग्रहण करने के बाद भी ग्राम जुराली के किसानों को मुआवजा नहीं दिया जा सका है। जमीन का उचित मुआवजा पाने के लिए किसान जद्दोजहद कर रहे हैं। निर्माण को पूरा करने करीब 2.6 किलोमीटर दूरी की जमीन के अधिग्रहण को लेकर स्थानीय किसानों और प्रशासन के बीच तनातनी है।
प्रशासन के अधिकारियों और पुलिस बल की मौजूदगी में यहां जमीन की नापजोख की गई।आज रविवार को पुलिस के साए में सीमांकन की प्रक्रिया पूर्ण की गई नेशनल हाईवे के अधिकारियों ने राजस्व और प्रशासन तथा पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में ग्रामीणों के विरोध के मध्य सीमांकन की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए अधिग्रहित की गई जमीनों का सीमांकन किया। मौके पर मार्किंग करने के साथ-साथ NH द्वारा अधिग्रहित भूमि का बोर्ड भी लगाया गया। आने वाले दिनों में इस शेष निर्माण कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा, ऐसा दावा है।

इधर दूसरी तरफ इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों में इस बात की नाराजगी है कि 6 साल से जमीन ले लेने के बाद आज तक मुआवजा नहीं दिया गया है। ग्रामीण, जमीन का उचित मुआवजा गाइडलाइन के अनुसार देने की मांग कर रहे हैं। शत्रुघ्न लाल पटेल ने बताया कि वार्ड 12 जुराली में 6 साल पूर्व अधिग्रहण जमीन का मुआवजा के लिए कोरबा से लेकर रायपुर, बिलासपुर तक की दौड़ लगा चुके हैं लेकिन राहत नहीं मिली है। सही मुआवजा मिलेगा तभी जमीन दी जाएगी और सड़क बनने देंगे। आज सीमांकन का कोई विरोध नहीं किया गया लेकिन उचित मुआवजा नहीं मिला तो विरोध का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीण चंद्रभान सिंह ने बताया कि जबरदस्ती खेत में सड़क बनाना चाह रहे हैं, ग्राम जुराली और कापूबहरा में दोनों जगह उसकी जमीन है लेकिन दोनों जगह का मुआवजा नहीं मिला है। उसका नाम प्रकाशन से छूट गया है, पूरी प्रक्रियाओं के बाद एसडीएम कहते हैं कि कलेक्टर के पास जाओ, कमिश्नर के पास जाओ,रायपुर जाओ, हाईकोर्ट जाओ…तो क्या किसान हाईकोर्ट और कमिश्नर के पास जाता रहे। उचित मुआवजा दे दें,हम जमीन दे देंगे फिर चाहे उस पर सड़क बनाएं या खेती करें। उचित मिलने के बाद ही जमीन पर सड़क बनने दिया जाएगा वरना हम किसान हैं, सड़क उखड़ कर रख देंगे।

कई थानों की फोर्स हुए शामिल
जुराली में जिस प्रकार के हालात काफी समय से इस मामले को लेकर बने रहे उससे प्रशासन के सामने चुनौती हुई। उच्च स्तर पर इसकी जानकारी देने के साथ अगली कार्रवाई के लिए निर्देश मांगे गये। संभावित परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिले के कई थाने और लाईन से फोर्स की व्यवस्था की गयी। इसके पीछे मकसद यह था कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के दौरान किसी प्रकार के दबाव पैदा न हो।


