Monday, October 27, 2025
Latest:
छत्तीसगढ़ न्यूज़छत्तीसगढ़ स्पेशलपेन्ड्रा गौरेला मरवाही

पेंड्रा में फिर दर्ज हुआ पत्रकार पर फर्जी एफआईआर, असामाजिक तत्वों के दबाव में आकर पुलिस …?

पेंड्रा में फिर दर्ज हुआ पत्रकार पर फर्जी एफआईआर, असामाजिक तत्वों के दबाव में आकर पुलिस …?

 

 

गौरेला पेंड्रा मरवाही: भ्रष्टाचार की आवाज उठाने वाले पत्रकारों पर ही पुलिस और माफियाओं के गठजोड़ के चलते लगातार फर्जी मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। सरकार को भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों की हकीकत से रूबरू कराना पत्रकारों महंगा पड़ रहा हैं। पत्रकारों के हितों और अधिकारों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है ऐसा एक ही जिले में नही प्रदेश के कई जनपदों में देखने को मिल रहा है, आज के दौर में कई जगह पत्रकार फर्जी मुकदमों की मार झेल रहे हैं।

ताजा मामला गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला के अंतर्गत पेंड्रा थाना का है जहाँ पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार आवाज उठाने वाले एक चर्चित पत्रकार कृष्णा पांडेय पर पेंड्रा पुलिस ने कुछ भ्रष्टाचारियों के प्रभाव में आकर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया है। बता दे की गौरेला पेंड्रा मरवाही के वरिष्ट पत्रकार कृष्णा पांडेय अपनी खोजी पत्रकारिता व निष्पक्ष खबरों के लिए विगत कई वर्षों से जाने जाते हैं। जनहित समस्याओं व भ्रष्टाचार पर बेबाकी से लिखने वाले पत्रकार कृष्णा पांडेय की अपनी एक अलग पहचान है। प्रकरण के संबंध में कृष्णा पांडेय ने बताया कि पेंड्रा थाना क्षेत्र के बसंतपुर में बीती रात 26/07/22 की रात को 11:00 बजे कटनी से कोयला लेकर बिलासपुर की ओर जा रही ट्रक के ड्राइवर ने बैलों पर ट्रक चढ़ा दिया था. जिसमें एक बैल तत्काल मौके पर ही मौत हो गया था, दूसरा बैल ट्रक के बीचो-बीच फस गया, जिसके बाद ट्रक ड्राइवर ट्रक लेकर भाग रहा था , ग्रामीणों ने ट्रक को रोका ।

कुछ समय बाद कृष्णा पांडेय द्वारा टीआई पेंड्रा को इसकी जानकारी दी. जिसके बाद पेंड्रा से पुलिस बल भेजा गया. जब पत्रकार श्री पांडे ने ड्राइवर का फोटो खींचना चाहा तब वहां उपस्थित खलखो नामक सिपाही ने ड्राइवर को अन्यत्र भगा दिया तथा पत्रकार से अनाप-शनाप की बातें करने लगा. जिसकी सूचना श्री पांडे द्वारा टीआई को दिया गया परंतु टीआई ने पांडे के बात सुनने के बजाय उन्हें ड्राइवर के साथ मारपीट करने व केस दर्ज करने की बात करने लगे.।

कृष्णा पांडे ने बताया की इससे पहले भी कई मामलों को लेकर मेरे द्वारा खुलासा किया गया है । जिससे खुन्नस खाते हुए अन्य असमाजिक तत्वों द्वारा पेंड्रा पुलिस से मिलीभगत कर मिथ्या आरोप लगाते हुए षड्यंत्र के साथ फर्जी तरीके से एफआईआर दर्ज करवा दिया गया है । जबकि एफआईआर में लिखे तथ्य वास्तविकता से कोसों दूर हैं और पत्रकार निर्दोष है। इसके बावजूद भी असमाजिक तत्वों के प्रभाव में कार्य कर रही पेंड्रा पुलिस मामले की जांच पड़ताल करने के बजाय पत्रकार को ही आरोपी साबित करने में लगी हुई है। पत्रकार पर दर्ज हुए फर्जी मुकदमें को लेकर पत्रकारों व पत्रकार संगठनों में पुलिस की कार्यशैली के प्रति भयंकर आक्रोश व्याप्त है।