Ktg news: अहिरन नदी का सीना चीर अवैध रेत उत्खनन.. खनिज विभाग की निष्क्रियता से रेत माफियाओं के हौसले बुलंद.
कोरबा/कटघोरा, 21 जून 2025 – कोरबा जिले के उपनगरीय क्षेत्र कटघोरा में इन दिनों अवैध रेत उत्खनन का कारोबार अपने चरम पर है। कानून की धज्जियां उड़ाते हुए रेत माफिया अब खुल्लमखुल्ला नदियों का सीना चीर रहे हैं। खासकर कसनिया क्षेत्र स्थित अहिरन नदी के पुल के नीचे मात्र 50 से 100 मीटर की दूरी पर दिनदहाड़े और रात के अंधेरे में अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है।
रेत से लदे ट्रैक्टर बिना किसी भय के मुख्य सड़कों पर दौड़ते दिखाई देते हैं। न तो उन्हें किसी प्रशासनिक कार्यवाही का डर है और न ही किसी प्रकार की रोकटोक का सामना करना पड़ता है। लगातार हो रहे इस उत्खनन से नदी के किनारे और पुल की संरचना पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, पुल धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है और यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो जल्द ही यह क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे जनसुरक्षा पर बड़ा खतरा उत्पन्न होगा।
खनिज विभाग बना मूकदर्शक
खनिज विभाग की निष्क्रियता ने इस पूरे अवैध कारोबार को खुला मैदान दे दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग के माइनिंग इंस्पेक्टर जब भी क्षेत्र में पेट्रोलिंग पर आते हैं, तो वे माफियाओं से सांठगांठ कर मामले को रफा-दफा कर देते हैं और जेबें भरकर लौट जाते हैं। यही कारण है कि यह गोरखधंधा वर्षों से अनवरत जारी है।
शोपीस बना खनिज बैरियर
कटघोरा चकचकवा पहाड़ के रामपुर के पास स्थित खनिज बैरियर की हालत भी किसी शोपीस से कम नहीं है। इस बैरियर के पास से रेत से लदे ट्रैक्टर नियमित रूप से गुजरते हैं, लेकिन कोई रोक-टोक नहीं की जाती। जानकारी के अनुसार, बैरियर पर तैनात कर्मचारी भी इस धंधे में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं और मासिक “नज़राने” के बदले आंखें मूंदे बैठे हैं।
अवैध रेत परिवहन को मिलता है प्रधानमंत्री आवास योजना का सहारा
रेत के ट्रैक्टर चालकों से जब उत्खनन का कारण पूछा जाता है, तो वे अक्सर प्रधानमंत्री आवास योजना का हवाला देते हुए अपने कृत्य को जायज ठहराने की कोशिश करते हैं। यह तर्क केवल कागज़ी खानापूर्ति के लिए दिया जाता है, जबकि असल में इसके पीछे एक संगठित माफिया नेटवर्क काम कर रहा है।
प्रभावित क्षेत्र और अवैध रेत घाट
कटघोरा क्षेत्र के कसनिया, धवईपुर, पुछापारा, कसरेंगा, छुरी और बिंजपुर जैसे इलाकों में अवैध रेत उत्खनन जोरों पर है। इसके अतिरिक्त प्रस्तावित रेत घाटों से भी बिना रॉयल्टी दिए सेटिंग के माध्यम से रेत निकालकर खुलेआम परिवहन किया जा रहा है। यह स्पष्ट रूप से सरकारी राजस्व की सीधी क्षति है।
प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ रहा हौसला
जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और उदासीन रवैया रेत माफियाओं के हौसलों को और बल दे रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि या तो अधिकारियों को इस अवैध गतिविधि की पूरी जानकारी नहीं है, या फिर कहीं न कहीं यह मिलीभगत की उपज है। कटघोरा सहित पूरे कोरबा जिले में अवैध रेत उत्खनन एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक संकट बन चुका है। इसके कारण न केवल राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी, सड़क सुरक्षा, और पुल जैसी महत्वपूर्ण संरचनाएं भी खतरे में हैं। आवश्यकता इस बात की है कि शासन-प्रशासन इस ओर तत्काल संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करे और दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए। नहीं तो आने वाले समय में यह समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है।