Ktg news : डायल 108 सुविधा से वंचित हो रहे पोंडी उपरोड़ा व गुरसियां के ग्रामीण.. नहीं मिल पा रहा वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों को लाभ.. स्वास्थ्य विभाग का नही इस ओर ध्यान.

कोरबा/पोंडी उपरोड़ा 25 नवम्बर 2024 : कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर पोंडी उपरोड़ा और गुरसियां जैसे ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में 108 एम्बुलेंस सेवा जैसी आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी एक गंभीर चिंता का विषय है। यह समस्या न केवल इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा को प्रभावित कर रही है, बल्कि तात्कालिक चिकित्सा सेवा के अभाव के कारण कई बार जान का खतरा भी बढ़ रहा है।
लगभग पिछले 1 वर्षो से डायल 108 एम्बुलेंस वाहन की सुविधा पोड़ी उपरोड़ा स्वास्थ्य केंद्र के साथ गुरसिया क्षेत्र मे नहीं होने से ग्रामीणों कों कई तरह के परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है मरीज़ के परिजनों को मजबूरन किराये के वाहन से अस्पताल ले जाना पड़ रहा। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मे ग्रामीण गरीब तबके के निवासरत हैं जिन्हे अस्पताल ले जाने के लिए किराए पर वाहन लेना पड़ता है। कई बार मरीज़ों को अस्पताल ले जाने के लिए पैसे भी उधार लेने पड़ते हैं, यह सिलसिला लगभग 1 वर्षो से चला आ रहा है लेकिन प्रसासन इस मामले मे गंभीर नहीं।
पोंडी उपरोड़ा स्वास्थ्य केंद्र में पहले थी सुविधा पर अब नहीं
डायल 108 आपातकालीन सेवाओं के लिए एक निःशुल्क कॉल करने योग्य टेलीफ़ोन नंबर है, इसकी सेवा से डायल 108 एम्बुलेंस मे ग्रामीण निशुल्क अस्पताल पहुंचते हैं। ज्यादातर दुर्घटना, गर्भवती महिलाओं जैसे मामलो मे तत्काल डायल कर वाहन घटना स्थल पर पहुँचती है और अस्पताल तक बिना देर किये मरीजों कों पहुंचाती है। लेकिन पिछले 1 वर्ष से पोड़ी उपरोड़ा स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र मे डायल 108 की सुविधा उपलब्ध नहीं है। मामले की जानकारी ली गई बताया गया की कुछ टेक्निकल फाल्ट की वजह से इस क्षेत्र मे यह सुविधा बंद है। वही परिजनों कों मजबूरन 112 मे कॉल करना पड़ता है जो की वह भी अन्य इवेंट मे बीजी रहने के कारण समय पर नहीं पहुंच पाती। पोड़ी उपरोड़ा गुरसिया क्षेत्र के ग्रामीण 108 एम्बुलेंस की सुविधा से वँचित हो रहे हैं। जिसके चलते उन्हें निजी वाहन किराये पर करना पड़ रहा है।

प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत
पोड़ी उपरोड़ा स्वास्थ्य केंद्र और गुरसिया क्षेत्र में डायल 108 एंबुलेंस सेवा की अनुपलब्धता से ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आदिवासी और गरीब तबके के लोगों के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है, खासकर जब उन्हें इलाज के लिए उधार लेकर वाहन की व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसी समस्याओं का समाधान तभी हो सकता है जब सामूहिक प्रयास और जन जागरूकता के जरिए प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया जाय, यह पहल ग्रामीणों के जीवन को बचाने और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

