Tuesday, October 28, 2025
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ktg news : कोरबा जिले के गुरसियां में जलजीवन मिशन को पलीता लगा रहे अफसरशाही.. ठेकेदार की मनमानी से योजना में चल रहा लाखों का बन्दरबाँट.. योजना को लगा भ्रष्टाचार दीमक.

कोरबा/पोंडी उपरोड़ा 7 अक्टुबर 2024 : सरकार की अति महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी नल जल योजना के द्वारा हर घर में नल से जल पहुंचाने का उद्देश्य है और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा हर गांव में जल जीवन मिशन के माध्यम से टंकी बनाकर हर घर में नल कनेक्शन का काम किया जा रहा है लेकिन यह विडंबना है कि यह कार्य कही पूर्ण है तों कही वर्षों से कार्य प्रगति पर है।

हम बात कर रहे है पोड़ी उपरोड़ा विकास खंड कि जहाँ ग्राम गुरसिया मे महावीर कंट्रक्शन के द्वारा दो वर्षों से प्रत्येक घर नल कनेक्शन का कार्य कराया जा रहा है, लेकिन दो वर्ष बाद भी उक्त ठेकेदार का कार्य अधूरा है। पानी टंकी तों बना दी गई लेकिन ग्रामीणों के घर में कनेक्शन देना भूल गए। ग्रामीणों ने बताया कि महावीर कंट्रक्शन के द्वारा आधार कार्ड ग्रामीणों के घर कनेक्शन के लिए कलेक्ट किये तो गए लेकिन सभी के घरो में नल कनेक्शन नहीं दिया गया। वहीं कई स्थानों पर अधूरे कनेक्शन का कार्य किया गया, कुल मिलाकर इस योजना से प्राप्त लांखों कि राशि का बंदरबाट कर लिया गया।

लगभग 200 हितग्राहियो के घर 12 इंच की जगह 8 इंच एफएसटीसी कि ढलाई कर दी

महावीर कंट्रक्शन के द्वारा जल्द से जल्द कार्य पूर्ण करने के एवज मे 12 इंच की जगह 8 इंच का एफएसटीसी बना दिया गया। वही जांच करने आये इंजिनियर ने उक्त कार्यों कों लेकर ठेकेदारों कों निर्माण सुधारने कि भी बात कही गई थी, जहाँ काफ़ी समय बीत जाने के बाद भी एफएसटीसी के साइज मे सुधार नहीं किया जा सका। इस मामले मे इंजिनियर से बात कि गई तो उन्होंने बताया कि गुरसिया मे काफ़ी स्थानों पर 8 इंच के एफएसटीसी बना दी गई है जो नियम के विपरीत है जिसके सुधार के लिए ठेकेदार कों निर्देशित किया गया है।  उन्होंने बताया कि एक स्टेन पोस्ट मे लगभग 5 हजार कि लागत आती है इस हिसाब से लगभग 200 हितग्राहियो के घरो मे 8 इंच का एफएसटीसी बनाया गया जिसकी राशि अनुमानित 10 लाख रूपये है। वही स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने कहा कि अगर विभागीय जांच हो तों गुरसिया मे और भी विभिन्न अनियमितत्ता उजागर हो सकती है।

किसी के यहां पूरा कनेक्शन, कही किया गया अधूरा

सरकार की इस योजना को भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है और जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी आँखे बंद कर ली हैं। ठेकेदार ने विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से सरकार द्वारा तय मानकों को ठेंगा दिखाते हुए योजना को भ्रष्टाचार की बलि चढ़ाने मे तुले हुए है।  गुरसिया के कोसकट्टी पारा निवासी सोनकुंवर ने बताया कि उसके घर मे नल कनेक्शन देने कि बात कहते हुए सारे दस्तावेज लिए गए जहाँ महिला द्वारा आधार कार्ड व राशन कार्ड कि फोटो कॉपी दे दी गई लेकिन कनेक्शन नहीं दिया गया वही आसपास के ग्रामीणों के घरो मे भी कनेक्शन नहीं दिया गया और सोनकुवर से कुछ दूर गोवर्धन सिंह के घर कनेक्शन तों दिया गया लेकिन कनेक्शन अधूरा कर दिया गया। जहाँ मुख्य पाईप से स्टैंडपोस्ट तक पाईप ज्वाइंट नहीं किया गया तो वही गोवर्धन के घर एफएसटीसी का साइज सीधे तौर पे देखा जा सकता है किस तरह साइज मे हेरा फेरी कि गई।

ऊपर से नीचे तक का सिस्टम गड़बड़

इतना सब कुछ हो रहा है वो भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की शह पर, इस भ्रष्टाचार से अधिकारी भलीभांति परिचित हैं लेकिन सबका अपना हिस्सा तय है। नलों से घर में पानी आने से पहले ही योजना के सरकारी पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा। सवाल उठ रहा है कि कैसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का हर घर जल पहुंचाने का सपना साकार होगा, इन ठेकेदारों और आला अधिकारियों पर कार्यवाही कौन करेगा। इस प्रकार के कार्य कराकर सरकार के नुमाइंदे अपनी पीठ खुद ही थपथपा लेंगे लेकिन आम नागरिकों को क्या मिलेगा। ग्रामीणों को तो पानी की किल्लत से निजात मिलने से रही । ठेकेदार द्वारा सरकार द्वारा तय मापदंडों को किनारे कर मनमर्जी से कार्य करना क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत की ओर भी इशारा करता है। भ्रष्टाचार के पैसे से अपनी जेबें भरकर यही अधिकारी गुणवत्ताहीन सामग्री और निर्माण कार्य को गुणवत्तापूर्ण बताकर मूल्यांकन करेंगे और जनप्रतिनिधियों से उद्घाटन कराकर वाहवाही लूटने का काम भी करेंगे लेकिन इस पर कार्यवाही भी होगी या फिर सरकारी खजाने की लूट खसोट यूँ ही अपनी रफ्तार से चलती रहेगी ।

सरकार कितने भी दावे कर ले कि ग्रामीण विकास की ओर उनका ध्यान है लेकिन सरकार की योजनाओं पर पलीता लगाने का काम अफसरशाही की मिलीभगत से ठेकेदार कर रहे हैं और सब आँखे मूंदकर सरकारी खजाने को लुटता हुआ देख रहे हैं। जनता की परेशानी अभी भी परेशानी ही बनी हुई है, ग्रामीण महिलाएं दूर दराज के कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब सब कुछ जनता को ही करना था तो सरकार क्या करेगी और अधिकारी जनता के दुख दर्द को कब समझेगी ।